सम्भल हिंसा: दूसरी जनहित याचिका भी खारिज

प्रयागराज: सम्भल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और मौतों की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर दाखिल दूसरी जनहित याचिका भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।

Dec 18, 2024 - 12:15
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सम्भल हिंसा: दूसरी जनहित याचिका भी खारिज

प्रयागराज: सम्भल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और मौतों की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर दाखिल दूसरी जनहित याचिका भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिका में हाईकोर्ट द्वारा जांच की निगरानी और स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच कराने की मांग की गई थी।

न्यायिक आयोग पहले ही गठित

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर दिया है, जिसे जांच के सभी अधिकार दिए गए हैं। याचिकाकर्ता चाहे तो अपने साक्ष्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान स्थिति में मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

अधिवक्ताओं ने रखे अपने-अपने पक्ष

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. एफ. ए. नकवी ने तर्क दिया कि सम्भल हिंसा की सीबीआई या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराई जाए और पूरे घटनाक्रम की स्टेटस रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। साथ ही घटना में मरने वालों और गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या स्पष्ट करने और दर्ज प्राथमिकियां वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की।

प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता और शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि न्यायिक आयोग में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के साथ एक रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। आयोग को साक्ष्य लेने का पूरा अधिकार है, और सभी रिकॉर्ड जिला जज की कस्टडी में सुरक्षित हैं।

न्यायिक आयोग पर अविश्वास अनुचित

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का आयोग की रिपोर्ट को लेकर अविश्वास अनुचित है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि आयोग की रिपोर्ट सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती, लेकिन कोर्ट इस तर्क से सहमत नहीं हुआ।

पहले की याचिका भी खारिज

कोर्ट को बताया गया कि सम्भल हिंसा से जुड़ी प्राथमिकियां पहले ही वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी हैं। कोर्ट ने कहा कि आयोग के सामने सैकड़ों गवाहों ने बयान दिए हैं और सभी साक्ष्य रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। चूंकि इसी मामले पर पहले भी एक जनहित याचिका खारिज हो चुकी है, इसलिए इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि यदि कोई नया तथ्य सामने आए, तो वह भविष्य में नई याचिका दाखिल कर सकता है।

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