Dhananjay Singh : पूर्व माफिया सरगना धनंजय सिंह की कहानी, जिसे पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के 46 महीने बाद अधिकारियों ने पकड़ लिया था।
जौनपुर का हर युवा धनंजय सिंह से परिचित है। हालांकि धनंजय सिंह का जन्म जौनपुर में नहीं हुआ है, लेकिन आपको बता दें कि 1990 के बाद धनंजय की दोस्ती..
Jaunpur News: धमकी और अपहरण के मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट से पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह को दोषी पाया है. जिसके बाद बुधवार को कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाएगी. हम आपको बताना चाहेंगे कि धनंजय सिंह को सजा सुनाए जाने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. इसी बीच धनंजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की एक तस्वीर वायरल हो रही है. दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को गले लगाने वाले धनंजय सिंह के इस वीडियो की चर्चा इस समय लोग कर रहे हैं.
जानिए कब हुई थी धनंजय और अखिलेश की मुलाकात.
आपको बता दें कि प्रतापगढ़ के सपा नेता राहुल सिंह की शादी हुई थी और यहीं पर धनंजय सिंह और अखिलेश यादव की मुलाकात हुई थी. इसके अलावा राजनीतिक हलके में धनंजय सिंह के जौनपुर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा भी जोरों पर है. हालांकि, मंगलवार को 46 महीने पहले दायर एक परिवाद पर आधारित कोर्ट के फैसले ने जौनपुर की राजनीति में भूचाल ला दिया.
बाहुबली धनंजय सिंह: कौन हैं ये?
जौनपुर की आपराधिक खबरें तो जगजाहिर हैं। उस स्थान से जहां अनेक अपराधी उद्गमित होते हैं। धनंजय सिंह का नाम जौनपुर का हर युवा जानता है। यह सच नहीं हो सकता है कि धनंजय सिंह का जन्म जौनपुर में हुआ था, लेकिन 1990 के बाद धनंजय का इस स्थान से एक अटूट रिश्ता बन गया। जौनपुर में लोगों ने धनंजय सिंह को बारी-बारी से नेता जी और काला कारोबारी कहा। बाहुबली धनंजय सिंह का नाम जौनपुर से जुड़ा।
दस्तावेज़ जेल से प्राप्त किया गया था।
आपको बता दें कि धनंजय का जन्म 1975 में कोलकाता में हुआ था। 1990 से पहले ही धनंजय का परिवार जौनपुर में स्थानांतरित हो चुका था। इसके बाद धनंजय ने जौनपुर में ही पढ़ाई की। धनंजय पन्द्रह वर्ष के थे जब उन पर एक शिक्षक की हत्या का आरोप लगाया गया। दरअसल, पूरे जौनपुर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब 10वीं के एक छात्र का नाम शिक्षक गोविंद उनियाल की हत्या से जुड़ा. फिर भी, अधिकारियों को धनंजय के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल सका। इसके दो साल बाद धनंजय सिंह से जुड़ा एक हत्या का मामला सामने आया। धनंजय सिंह ने कथित तौर पर पुलिस हिरासत में रहते हुए 12वीं कक्षा के दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। इस मामले में भी पुलिस को उसके खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला।
जौनपुर का पहला चुनाव जीता।
2002 में, धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। फिर उन्होंने जौनपुर को अपनी सीट के रूप में चुना और निर्दलीय के रूप में विजयी रहे। यहीं से शुरू हुआ धनंजय का राजनीतिक सफर. विधायक बनने के कुछ महीने बाद उनका सामना अपने पुराने दोस्त अभय सिंह से हुआ, लेकिन उन्होंने कई नए दुश्मन भी बना लिए. अब उनके प्रतिद्वंदी अभय सिंह ने धनंजय सिंह के काफिले पर फायरिंग कर दी. ये घटना बनारस में टकसाल सिनेमा के पास की है. इस घटना में धनंजय सिंह के चार साथी घायल हो गये.
बनारस में काफिले पर हमला
2002 तक अभय सिंह और धनंजय सिंह एक-दूसरे के विरोधी हो गए। अक्टूबर 2002 में नदेसर में टकसाल टॉकीज के सामने बनारस से निकल रहे धनंजय के कारवां पर गोलीबारी की गई थी। गोलीबारी में धनंजय के गनर समेत काफिले के कई सदस्य घायल हो गए थे। मामले को लेकर धनंजय ने अभय सिंह व अन्य के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. फिलहाल, यह मुकदमा लंबित है।
अपनी पिछली अवैध गतिविधि को पहचानें
बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास तीस साल से ज्यादा का है। पुलिस डोजियर के मुताबिक, धनंजय सिंह के खिलाफ 1991 से 2023 के बीच जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में से 22 में धनंजय को दोषी नहीं पाया गया है। इसके अलावा, सरकार ने तीन अन्य मामले हटा दिए हैं। धनंजय एक हत्या के मामले में नामांकन के लिए सही व्यक्ति नहीं थे और पुलिस ने एक बदमाशी मामले में अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी। इस मामले में पहली बार धनंजय को दोषी पाया गया।
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